कांग्रेस के अधिवेशन में मुस्लिम लीडरशिप की अनदेखी, कांग्रेस चली बीजेपी की राह

अगर यही हालात रहे तो भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करने में कांग्रेस का अपना खुद का ही बड़ा रोल होगा

डॉ जमशेद उस्मानी

जब भी किसी राजनीतिक पार्टी का अधिवेशन होता है तो उसका एक मकसद यह भी होता है के पार्टी अपनी नीतियों और कार्यक्रम को मद्देनजर रखते हुए जनता को एक संदेश देती है देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का अधिवेशन छत्तीसगढ़ के रायपुर में जारी है इस मौके पर कांग्रेस पार्टी ने देश के बहुत से समाचार पत्रों में पूरे 1 पेज का विज्ञापन दिया है जिसके जरिए कांग्रेस ने देश के बहुसंख्यक वर्ग को एक संदेश देने की कोशिश की है की अब कांग्रेस की नीतियों और कार्यक्रमों में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में बहुत से मुसलमानों ने कांग्रेश को मजबूत करने के लिए बेशुमार कुर्बानियां दी हैं इस इस बारे में तो बाद में किसी दिन लिखूंगा पर हाल के दिनों तक कांग्रेस में अपने को सेकुलर दिखाने के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद जो कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं देश के सबसे पहले शिक्षा मंत्री रह चुके हैं जिन्होंने देश की लड़ाई में लंबे अरसे तक अंग्रेजों की जेल में रहकर यातनाएं झेली है मौलाना अबुल कलाम आजाद को अक्सर कांग्रेस के प्रोग्राम में पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ फोटो में स्थान दिया जाता रहा है लेकिन देशभर के अखबारों में दिए विज्ञापन में मौलाना अबुल कलाम आजाद को स्थान ना देकर कांग्रेस ने एक राजनीतिक संदेश दिया है

कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी जो विज्ञापन अखबारों में छापा गया जिसमें सबसे ऊपर महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तस्वीर है जबकि दूसरी लाइन में सुभाष चंद्र बोस सरोजिनी नायडू, लाल बहादुर शास्त्री इंदिरा गांधी राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव शामिल है लेकिन किसी भी मुस्लिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, खासतौर से और दो दो बार कांग्रेस अध्यक्ष रहे, स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के कर्णधारो को याद नहीं रहे, विज्ञापन में मौलाना आजाद की तस्वीर के न होने पर सेक्युलर वर्ग और मुसलमानों में नाराजगी जताई जा रही है और कहां जा रहा है कि कांग्रेस की विचारधारा अब बिल्कुल बदल चुकी है वह मुसलमानों को दरकिनार कर रही है उनको नजरअंदाज कर रही है.
मुस्लिम टुडे के संपादक माजिद अली खान का कहना है कि कांग्रेस के इस पोस्टर को तैयार करने वाले को बाबरी मस्जिद की शहादत की मिठाई खाने वाला पीवी नरसिंह राव याद रहा लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष पद और प्रधानमंत्री पद इसलिए छोड़ देने वाला क्योंकि की देश के टुकड़े हो गए याद नहीं रहा या उसके अलावा दूसरे मुस्लिम नेता भी याद नहीं रहे, कांग्रेस के रेवैये पर अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी को इस्तीफा देना चाहिए और राहुल गांधी को बताना चाहिए कि वह भारतीयों को जोड़ने निकले थे या सिर्फ हिन्दू धर्मावलंबियों को।
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार हाफिज शाह नजर का कहना है कि कांग्रेस अब अपनी धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा से हटती हुई नजर आ रही है उसका भी अब यही सोचना है बहुसंख्यक वर्ग को खुश किया जाए उसको मुसलमानों का वोट तो चाहिए पर मुसलमानों को अपने साथ खड़ा हुआ दिखाना नहीं चाहती, यह कांग्रेश के लिए एक आत्मघाती कदम होगा जैसा कि उत्तर प्रदेश में हम देख ही चुके हैं की बहुसंख्यकवाद की राजनीति के चलते कांग्रेश राज्य में बना वजूद भी नहीं बचा पा रही है अगर यही हालात रहे तो भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करने में कांग्रेस का अपना खुद का ही बड़ा रोल होगा

सेकुलर तबके की तरफ से कांग्रेस के इस कदम की आलोचना होने के बाद कांग्रेस के एक नेता सामने आए और उन्होंने ट्वीट करके माफी मांगी. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट में लिखा, ‘यह गलती से हुआ, इसकी जिम्मेदारी तय की जा रही है और इसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हम बहुत ईमानदारी से इसके लिए माफी मांगते हैं, वे हमेशा हमारे और भारत के लिए एक प्रतिष्ठित और प्रेरक व्यक्ति बने रहेंगे।’

अब कांग्रेस के नेता इसके लिए माफी मांगे या कुछ भी दलील दे लेकिन कांग्रेस के इस कदम यह तो साबित कर दिया है कि आज के दौर में कांग्रेस लीडरशिप के नजर में मुसलमान, मुसलमान स्वतंत्र सेनानी और मुसलमान नेता जिन्होंने कांग्रेस को अपने खून पसीने से सीचा है जिनमें मौलाना मोहम्मद अली जौहर, मौलाना शौकत अली जौहर डॉ जाकिर हुसैन फखरुद्दीन अली अहमद के अलावा अहमद पटेल और अब्दुल रहमान अंतुले का नाम दी लिया जा सकता है कांग्रेस लीडरशिप के जेहन में जब अपने मुस्लिम नेताओं का ही कोई मकाम नहीं है तो फिर आम मुस्लिम कार्यकर्ता या वोटर की तो बात ही क्या है.

डॉ जमशेद उस्मानी