शिमला :विहिप-RSS संचालित मंदिर में पढ़ा गया निकाह

हिंदू-मुस्लिम रिश्ते हुए मजबूत: विनय शर्मा

हिमाचल प्रदेश में शिमला में रामपुर के सत्यनारायण मंदिर में निकाह पढ़ा गया। वह भी ऐसे मंदिर में जिसे विश्व हिंदू परिषद संचालित कर रहा है। मंदिर परिसर में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिला कार्यालय है।

दैनिक भास्कर के अनुसार विहिप पदाधिकारियों ने ही लड़की के माता-पिता की मांग पर उन्हें मंदिर के हॉल में निकाह कराने की स्वीकृति प्रदान की। मंदिर परिसर में बने हॉल में ही मौलवी, वकील और दोनों पक्षों के लोग एकत्र हुए। यहीं पर मौलवी ने दोनों का निकाह पढ़वाया और वकील की देखरेख में सभी रस्में पूरी की गई।
कबूल है-कबूल है…
इस निकाह के सत्य नारायण मंदिर परिसर में सम्पन्न होने से जहां रामपुर में रह रहा मुस्लिम समाज काफी खुश है। वहीं हिंदू धर्म ने भी इसे सकारात्मक तरीके से लिया है। इस निकाह की खास बात ये है कि पूरी रस्में विश्व हिंदू परिषद अधिकृत मंदिर परिसर में मौलवी द्वारा पूरी की गई। वर-वधु की ओर से कबूल है-कबूल है… कहा गया और निकाह पूरा हुआ। इसके बाद वर और वधु के परिजन ने एक-दूसरे को गले लगाकर निकाह संपन्न होने की बधाई दी। बाद में मंदिर परिसर में शाकाहारी भोज का आयोजन किया गया।

रामपुर के सत्यनारायण मंदिर में मुस्लिम जोड़े का यह निकाह 3 मार्च को पढ़ा गया। इसमें न केवल लड़का-लड़की के मुस्लिम परिजन शामिल हुए, बल्कि इलाके के हिंदू लोगों ने भी नव दंपती को आशीर्वाद दिया। मंदिर में हुए इस मुस्लिम निकाह की चर्चा पूरे सूबे में है और हर कोई सर्वधर्म सम्भाव की सराहना कर रहा है। परिवार की ओर से इसके लिए बाकायदा कार्ड छपवाए गए थे। कार्ड में ही मंदिर में निकाह किए जाने का जिक्र था। सिविल इंजीनियर हैं लड़का-लड़की
जानकारी के मुताबिक रामपुर में सबीहा मलिक और महेंद्र सिंह मलिक की बेटी नयामत मलिक एमटेक, सिविल इंजीनियर हैं। नयामत के पति राहुल शेख भी सिविल इंजीनियर हैं, जो चंबा में चुवाड़ी के रहने वाले हैं। दोनों परिवारों की रजामंदी से मंदिर के हॉल में यह निकाह करवाया गया। इस शादी के तहत 1 मार्च की शाम को मामा स्वागत हुआ और रात को बटने की रस्म अदा की गई। अगले दिन 2 मार्च को रिश्तेदारों और रामपुर के लोगों के लिए धाम रखी गई थी, जबकि रात को मेहंदी लगाई गई।

मंदिर न्यास के महासचिव विनय शर्मा कहते हैं कि सत्य नारायण मंदिर परिसर में अक्सर शादियां की जाती हैं। शादी के आयोजकों को नियमानुसार अनुमति दी जाती है ताकि मंदिर की गरिमा बनी रह सके। शर्मा ने कहा कि यह निकाह हिंदू-मुस्लिम रिश्ते को मजबूत करने के लिए एक बड़ा उदाहरण है। यहां ऐसा पहली बार हुआ कि मंदिर परिसर में मुस्लिम समुदाय से संबंधित किसी की शादी हुई हो।