27 की मौत, विश्व भर से भारत के समर्थन में उठी आवाज
पहलगाम टूरिस्टों पर आतंकी हमला-27 मृत, अनेकों घायल-अमेरिका रूस सहित पूरा विश्व संकट की घड़ी में भारत के साथ खड़ा हुआ।
भारत में नक्सलवाद मावोवाद समाप्ति की डेड लाइन 31 मार्च 2026 की तरह, जम्मू कश्मीर में भी आतंकवाद समाप्ति की डेडलाइन पर सटीक निर्णय लेना समय की मांग
एडवोकेटकिशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया महाराष्ट्र–22 अप्रैल 2025 की शाम को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में एक भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। घने देवदार के जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसे बैसरन मैदान में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इस हमले में 27 से अधिक निर्दोष पर्यटक मारे गए और कई अन्य घायल हुए।
हमले की भयावहता
हमला उस समय हुआ जब सैलानी बैसरन के खुले मैदानों में घुड़सवारी कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकी पुलिस की वर्दी में आए और पंजाबी भाषा में मजहब पूछकर लोगों की पहचान करने लगे। इसके बाद करीब 50 राउंड फायरिंग की गई। मरने वालों में नेपाल और यूएई के नागरिक, एक आईबी ऑफिसर, और नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शामिल हैं।
हमले की जिम्मेदारी
इस कायरतापूर्ण हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। माना जा रहा है कि आतंकी किश्तवाड़ से कोकेरनाग होते हुए बैसरन पहुंचे थे।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हमले की खबर मिलते ही प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब की यात्रा बीच में छोड़ दी सऊदी अरब से निकलकर सुबह भारत पहुंचे और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक हुई। गृह मंत्री भी घटनास्थल पर पहुंचे और उच्चस्तरीय बैठकें कीं।अमेरिका, रूस, इजरायल, सऊदी अरब, यूक्रेन, ब्राज़ील सहित कई देशों ने हमले की कड़ी निंदा की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “कश्मीर से आई यह खबर बेहद चिंताजनक है। अमेरिका भारत के साथ खड़ा है।” इजरायली राजदूत ने लिखा, “आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुट हैं।” रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी इस हमले को “निर्दोषों के खिलाफ किया गया जघन्य अपराध” बताया।
स्थानीय प्रतिक्रिया और जन आक्रोश
कश्मीर बार काउंसिल, डोडा काउंसिल, और कई संगठनों ने हमले के विरोध में 23 अप्रैल को बंद का आह्वान किया। कैंडल मार्च और शांति रैलियों के जरिए लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराया।
आतंकवाद के खात्मे की ओर एक निर्णायक कदम आवश्यक
जैसे भारत सरकार ने नक्सलवाद और माओवादी गतिविधियों के अंत की डेडलाइन 31 मार्च 2026 तय की है, उसी तरह कश्मीर घाटी में भी आतंकवाद के खात्मे के लिए एक ठोस समयसीमा तय करने की आवश्यकता है। अब समय आ गया है कि आतंकियों के खिलाफ सुनियोजित, निर्णायक, और कठोर रणनीति बनाई जाए। यह स्पष्ट संदेश देना होगा कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा—ईंट का जवाब पत्थर से देने में सक्षम है।
निष्कर्ष
यह हमला केवल कश्मीर या भारत का नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ एक युद्ध है। भारत को चाहिए कि वह आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत करते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़े। पहलगाम हमला हमें याद दिलाता है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकता और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस नीति समय की मांग है।