Monday, December 8, 2025
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

दो हाथियों रूपी अमेरिका चीन दिग्गजों की लड़ाई में टैरिफ़ रूपी चक्की में पिसती दुनिया!

दो हाथियों रूपी अमेरिका चीन दिग्गजों की लड़ाई में टैरिफ़ रूपी चक्की में पिसती दुनिया!

टैरिफ़ वार से ग्लोबल सप्लाई चैन बाधित होने से पूरी दुनियाँ सांसत में!- जो सामान कई देशों के जॉइंट प्रोडक्ट से बनता है वह बाधित होंगे

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

भारत में वर्षों से चली आ रही कहावत—“दो हाथियों की लड़ाई में घास पिसती है”—आज वैश्विक अर्थव्यवस्था पर सटीक बैठती है। अमेरिका और चीन, ये दो आर्थिक महाशक्तियाँ, आपस में टैरिफ युद्ध में उलझ चुकी हैं, और इसकी तपिश अब पूरी दुनिया महसूस कर रही है। चीन द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर 125% टैरिफ लगाने के जवाब में अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर भारी-भरकम 245% शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है।

यह निर्णय वैश्विक व्यापार और सप्लाई चेन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। जो वस्तुएं विभिन्न देशों के सहयोग से तैयार होती हैं—जैसे मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो पार्ट्स—उनका निर्माण और आपूर्ति बाधित हो सकता है। इसके कारण महंगाई बढ़ेगी और उपभोक्ता गुणवत्ता से समझौता करने को मजबूर हो सकते हैं।

टैरिफ: हथियार या दबाव का यंत्र?

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत टैरिफ एक राजनीतिक हथियार बन चुका है। जो देश अमेरिका के अनुसार चलता है, उसे छूट दी जाती है, और जो विरोध करता है, उस पर आर्थिक फंदा कस दिया जाता है। चीन ने जब 125% टैरिफ लगाकर जवाबी साहस दिखाया, तो अमेरिका ने मंगलवार रात 245% टैरिफ का ऐलान कर दिया, जबकि अन्य देशों पर लगाए गए शुल्कों को अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए रोक दिया गया है।

सप्लाई चेन में संकट, लेकिन भारत के लिए अवसर

इस संकट में एक छुपा हुआ अवसर भारत जैसे विकासशील देशों के लिए निकल सकता है। अगर चीन से सप्लाई बाधित होती है, तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश भारत की ओर रुख कर सकते हैं। भारत, जो पहले से ही विनिर्माण क्षमता बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है, वैश्विक सप्लाई चेन में एक अहम कड़ी बन सकता है।

अमेरिका का जवाब: सुरक्षा और रणनीति का मेल

व्हाइट हाउस के अनुसार, यह कदम चीन की प्रतिशोधात्मक व्यापार नीति के जवाब में उठाया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें महत्वपूर्ण खनिजों और उत्पादों पर निर्भरता को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि चीन ने बोइंग जैसे अमेरिकी उत्पादों को अस्वीकार कर अमेरिका के खिलाफ एक रणनीतिक मोर्चा खोल दिया है।

वार्ता की संभावनाएँ और नया नेतृत्व

हालांकि अमेरिका ने यह स्पष्ट किया है कि वह चीन से बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन पहल की ज़िम्मेदारी बीजिंग पर डाल दी गई है। इस बीच, चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए नया अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार नियुक्त किया है। इससे यह संकेत मिलता है कि बातचीत की संभावनाएँ अभी समाप्त नहीं हुई हैं, लेकिन दोनों देशों की जिद्दी नीतियाँ समाधान में बाधा बन रही हैं।

चीन के पूर्व उप वित्त मंत्री झू गुआंगयाओ के अनुसार, अगर अमेरिका चाहता है कि चीन उसकी हर शर्त माने, तो कोई वार्ता संभव नहीं होगी। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों पक्षों के अधिकारी लगातार संपर्क में हैं और संतुलित समाधान की आवश्यकता है।

निष्कर्ष: वैश्विक प्रभाव और भारत की भूमिका

इस पूरे टैरिफ युद्ध का सबसे बड़ा नुकसान वैश्विक अर्थव्यवस्था को होगा। दुनिया भर में वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे, सप्लाई चेन प्रभावित होगी और व्यापारिक अस्थिरता फैलेगी। लेकिन, भारत के लिए यह एक आर्थिक अवसर भी बन सकता है, यदि वह सही रणनीति और नीतियों के साथ इस स्थिति का लाभ उठाए।

टैरिफ की चक्की में पिसती दुनिया, लेकिन बदलते समीकरणों में भारत का बढ़ता महत्व एक नई आशा की किरण बन सकता है।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र9284141425

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine
- Advertisment -
Google search engine
- Advertisment -
Google search engine

Recent Comments