राष्ट्रीयलेख

हाय महंगाई ! तू कहां से आई, तुझे क्यों मौत ना आई!

खाद्य वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़े-थोक महंगाई पर 16 महीनों के उच्चतम रिकॉर्ड स्तरपर आई

राजनीतिक पार्टियों का राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ़ महंगाई पर प्रदर्शन जारी

जबकि थोक महिंगाई दर लगातार चौथे महीने भी बढ़कर 16 महीनों के उच्चतम स्तरपर पहुंची

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी 

        वैश्विक स्तरपर महंगाई की मार से क़रीब-क़रीब दुनियां का हर देश पीड़ित है। हर देश के हुक्मरान अपने देश की अर्थव्यवस्था नियंत्रण में करने का हर सटीक उपाय कर रहे हैं, परंतु फिर भी यह महंगाई है कि डायन खाए जात है! महंगाई की मार से कराहते लोग फिल्म पीपलीलाइव जो 14 वर्ष पूर्व 13अगस्त 2010 को प्रदर्शित हुई थी,जिसके लेखक व निर्देशक रिजवी थे फ़िल्म के गीत,सखी सैयां तो खूब ही कमात है,महंगाई डायन खाए जात है। महंगाई की मार से कराहते लोग इस गीत के माध्यम से अपने दर्द का सामाजिक उपचार खोज लेते हैं और उन तकलीफों का एहसास ही ऐसे गीतों को जन्म देता है।हम ऐसे समय में जी रहे हैं कि हो न हो आने वाले समय में सब्जियों के स्वाद भी कृत्रिम रूप से बने फ्लेवर्स बाजार में मिलने लगें। खेती के नाम का झुनझुना तो खूब बजता है लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। हमने शहर बनाये, सड़कें बनाईं, आलीशान बिल्डिंगें बनाईं और कहना न होगा कि तकनीकी रूप से भी उन्नत हुए,लेकिन इसे देश का दुर्भाग्य ही समझा जायेगा कि देश के शैक्षणिक संस्थान अभी तक ऐसी कोई पद्धति नहीं विकसित कर पाये हैं जिससे महंगाई पर कंट्रोल हो। हम दुनियां की सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था का दंभ भरने से चूकते नहीं, लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि दिन ब दिन महंगाई से समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इस महंगाई के दौर में सत्ताधीशों को मौका मिल जाता है और उन पर कोई दबाव नहीं बन पाता। जिन आंखों में भविष्य के सुनहरे सपने रहने चाहिए, उनमें हताशा और निराशा देखने को मिलती है। बेरहम भूख, लोगों की जरूरतों के मद्दे नजर होने वाले कोशिशों को दो जून की रोटी तक समेट देती है। फिल्म पिपली लाइव का यह गीत देश के ऐसे ही कमजोर लोगों के मन में उभरते हुए दर्द की अभिव्यक्ति है। सरकारें एक-दूसरे को कोसती रह जाती हैं। कोई कहता है पुराने दिन ही भले थे, कोई अच्छे दिन की ढांढस बंधाता रह जाता है। लेकिन समस्या जत की तस मुंह बाय़े खड़ी है। अगर हम यह कहें कि देश में महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दों पर जनता में लामबंदी बहुत कम देखी जाती है, लोग सड़कों पर नहीं उतरते तो मान लीजिए कि यह सरकारों का सौभाग्य है। असल में यही देश का दुर्भाग्य भी है। खाने पीने की वस्तुओं में आई तेजी के कारण थोक मूल्य सूचकांक परआधारित थोक महंगाई जून 2024 में लगातार चौथे महीने बढ़त में रही और यह 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36 फीसदी पर पहुंच गई।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज यहां जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों तथा विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में आई तेजी के कारण यह वृद्धि हुई है। थोक मुद्रास्फीति मई में 2.61 प्रतिशत थी। जून 2023 में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी।मंत्रालय ने कहा कि जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही।आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 फीसदी बढ़ी,जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी। सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ी कम है।आज यह बात हम इसलिए कह रहे हैं, चूंकि 15 जुलाई 2024 को उद्योग वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों की रिपोर्ट आई कि खाने-पीने की वस्तुओं में आई तेजी। चूंकि खाद्य वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़े थोक महंगाई दर 16 महीना के उच्चतम रिकॉर्ड स्तरपर पहुंच गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे है हाय महंगाई! तू कहां से आई, तुझे क्यों मौत ना आई!
साथियों बात अगर हम वाणिज्य उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार दिनांक 15 जुलाई 2024 को महंगाई संबंधी जारी आंकड़ों की करें तो, जून में देश की थोक महंगाई दर 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। देश में ब…

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