एक बार फिर पहाड़ की फिजा बिगड़ने की कोशिश
चमोली में छेड़छाड़ की घटना के बहाने अल्पसंख्यक समाज की दुकानों में तोड़फोड़
डॉ जमशेद उस्मानी
देहरादून – पिछले साल उत्तराखंड ही नहीं पूरे प्रदेश में पुरोला का तथाकथित लव जिहाद मामला न सिर्फ सुर्खियों में बना रहा बल्कि वहां पर रहने वाले अल्पसंख्यक समाज के व्यक्तियों के लिए बड़ा दर्दनाक भी रहा. यही नहीं इसके बहाने देश की फिजाओं में सांप्रदायिकता का जहर खोलने की भरपूर कोशिश की गई. वह मामला तो अदालत में नहीं टिक पाया और आरोपियों को अदालत द्वारा बा इज्जत बारी कर दिया गया.
किसी भी लड़की के साथ छेड़छाड़ या कोई भी अश्लील हरकत कभी भी किसी भी हालत में ना काबिले बर्दाश्त बात है यह किसी भी मजहब धर्म जाति वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है लड़की किसी वर्ग जाति की हो उसके साथ उसके कोई भी जुल्म चाहे वह किसी भी जाति या धर्म के व्यक्ति ने किया हो कानून की नजर में सब बराबर है उसकी सजा जरुर मिलनी चाहिए. लेकिन हमारे देश में माहौल खराब करने के लिए ऐसी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने का एक प्रचलन सा हो गया है और अगर लड़का और लड़की दोनों अलग-अलग वर्गों के हो तो सांप्रदायिक लोगों को यह एक सुनहरा अवसर नजर आता है.
ऐसा ही एक मामला चमोली जिले के नंदानगर (घाट) का सामने आया है मीडियम रिपोर्ट के मुताबिक एक लड़की के साथ अश्लील हरकत की गई लड़का अल्पसंख्यक समुदाय का बताया जा रहा है इसके बाद स्थानीय लोगों ने जुलूस निकाला और आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग की. यहां तक तो मामला समझ में आता है लेकिन इसी के साथ जो और कुछ घटा वह इस घटना को तो एक बहाना ही समझ जाएगा असल मकसद देश और प्रदेश की फिजा को बिगड़ना ही नजर आता है क्योंकि प्रदर्शन कर रहे लोग पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में मुस्लिम नाई की दुकान पर हमला किया और तोड़फोड़ की। दिलचस्प बात यह है कि जुलूस में शामिल लोग पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मुसलमानों के प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचा और पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में “जूते मारो सालो को” के जैसे भड़काऊ नारे लगाएं। साथ-साथ उनके प्रतिष्ठानों को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा और पुरोला की तर्ज पर एक बार फिर पहाड़ की फिजा को बिगड़ने की कोशिश की गई