मौलाना महमूद मदनी के बयान से असदुद्दीन ओवैसी को मिला बड़ा राजनीतिक लाभ?
मौलाना महमूद मदनी के बयान से असदुद्दीन ओवैसी को मिला बड़ा राजनीतिक लाभ?
शिब्ली रामपुरी
जमीयत उलेमा हिंद के लीडर मौलाना महमूद मदनी ने एमआईएम के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर जो बयान दिया है उसको लेकर चौतरफा उनकी निंदा हो रही है. मौलाना महमूद मदनी ने बयान में जो कुछ कहा है उस पर नाराजगी जताते हुए बड़े-बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं.
दरअसल एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी की जो पॉलिटिक्स है वह बांटने वाली है और वह मुसलमानों के नेता नहीं हैं मुसलमान उनको अपना नेता नहीं मानता अगर मुस्लिम उनको अपना नेता कबूल करता तो फिर उत्तर प्रदेश में असदुद्दीन ओवैसी ने जब अपने प्रत्याशी उतारे तो उनका यह हश्र ना होता. मौलाना महमूद मदनी ने यहां तक कहा कि असदुद्दीन ओवैसी जिस तरह की पॉलिटिक्स करते हैं इसका थोड़ा बहुत फायदा ओवैसी को मिल जाता है लेकिन उससे ज्यादा फायदा दूसरे लोगों को होता है.
असदुद्दीन ओवैसी की पॉलिटिक्स पर सवाल खड़ा करने के बाद मौलाना महमूद मदनी को लेकर उलेमा का एक तबक़ा भी नाराजगी जता रहा है और कह रहा है कि मौलाना महमूद मदनी को ओवैसी के बारे में ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था क्योंकि जिन मामलों में मौलाना महमूद मदनी भी खामोशी इख़्तियार कर लेते हैं उन मामलों में भी असदुद्दीन ओवैसी खुलकर बोलते हैं और फिलहाल मुसलमानों के सामने उनके अलावा कोई दूसरा लीडर है ही नहीं जो मुसलमानों की आवाज बुलंद करता हो.
मौलाना महमूद मदनी ने जो बयान असदुद्दीन ओवैसी पर दिया तो शायद उन्होंने सोचा होगा कि उनके इस बयान से असदुद्दीन ओवैसी को नुकसान होगा और उनकी सियासत पर सवाल खड़े होंगे लेकिन मौलाना महमूद मदनी का यह बयान असदुद्दीन ओवैसी के पक्ष में एक बड़ा राजनीतिक माहौल बनाने में काफी हद तक सफल होता दिखाई दे रहा है इसकी एक बड़ी वजह यह है कि कल तक जो लोग असदुद्दीन ओवैसी पर तमाम तरह के इल्जाम लगाते थे और माना जा रहा था कि मुस्लिम ओवैसी के साथ नहीं हैं तो जिस तरह से मौलाना महमूद मदनी के बयान की निंदा हुई और असदुद्दीन ओवैसी की हिमायत में उलेमा से लेकर सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों एवं आम मुसलमान ने भी एकजुटता दिखाई उससे साफ है कि असदुद्दीन ओवैसी के प्रति मुस्लिम समाज का नजरिया अब बदलने लगा है और कम या ज्यादा तौर पर मुसलमान असदुद्दीन ओवैसी को राजनीतिक तौर पर लीडर मानने लगे हैं. असदुद्दीन ओवैसी पर भाजपा की बी टीम भाजपा को फायदा पहुंचाने जैसे आरोप भी हमेशा से लगते रहे हैं लेकिन अब ओवैसी कहते हैं कि ऐसे आरोप से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि आरोप तो बड़े से बड़े लीडर पर लगते रहे हैं इसलिए वह इन आरोपों पर अब ध्यान नहीं देते. जिस तरह से इस पूरे मामले में असदुद्दीन ओवैसी की हिमायत में एक माहौल बना उससे यह बात तो साफ है कि खुद को सेकुलर कहने वाली वो पार्टियां जो भाजपा का खौफ़ दिखाकर या भाजपा के नाम पर किसी भी तरह से मुसलमानों को गुमराह करती रही हैं और आज भी कर रही हैं उन पार्टियों से मुसलमान अब मायूस होने लगा है और उसका राजनीतिक नजरिया भी तब्दील होता जा रहा है.