महात्मा गाँधी के जीवन से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न, डॉ. उस्मानी के सवाल और डॉ. अफरोज इक़बाल के जवाब
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में गोल्डन टाइम्स के संपादक डॉ जे उस्मानी के सवाल और डॉ अफ़रोज़ इक़बाल,कैरियर गाइड,एसोसिएट प्रोफेसर, राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय डोईवाला देहरादून के जवाब
डॉ. उस्मानी: महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ क्यों कहा जाता है?
डॉ. अफरोज इक़बाल: महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने सत्य, अहिंसा और नैतिकता के सिद्धांतों को अपने जीवन में पूरी तरह से अपनाया और इन्हें समाज में स्थापित किया। उनके विचार और कार्य केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं थे, बल्कि वे मानवता के कल्याण के लिए काम कर रहे थे। उनके जीवन के ये नैतिक गुण उन्हें ‘महात्मा’ का दर्जा दिलाते हैं।
डॉ. उस्मानी: गांधीजी के सत्याग्रह का क्या महत्व था और यह उनके जीवन में कैसे प्रभावी रहा?
डॉ. अफरोज इक़बाल: सत्याग्रह गांधीजी के जीवन का प्रमुख सिद्धांत था, जिसका अर्थ है सत्य के प्रति अडिग रहना। उन्होंने इसे हर संघर्ष में इस्तेमाल किया, चाहे वह दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लड़ाई हो या भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ। यह सत्य की ताकत पर आधारित था और बिना किसी हिंसा के विरोध करने का तरीका था, जो उनके नैतिक बल को प्रदर्शित करता है।
डॉ. उस्मानी: गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत का स्वतंत्रता संग्राम में क्या महत्व था?
डॉ. अफरोज इक़बाल: अहिंसा गांधीजी की सबसे बड़ी ताकत थी। उन्होंने बिना हिंसा के ब्रिटिश शासन का विरोध किया और यह दिखाया कि नैतिक बल किसी भी हिंसा से अधिक शक्तिशाली होता है। उनका अहिंसा का मार्ग स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाखों लोगों को एकजुट कर पाया, जिससे भारत को आजादी मिली।
डॉ. उस्मानी: गांधीजी ने जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ कौन से कदम उठाए?
डॉ. अफरोज इक़बाल: गांधीजी ने जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ ‘हरिजन’ आंदोलन शुरू किया। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में हर व्यक्ति को समानता और सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक असली आजादी संभव नहीं है। उनके प्रयासों ने समाज में बड़े बदलाव लाए और दलितों को समाज में बराबरी का स्थान दिलाने में मदद की।
डॉ. उस्मानी: महिलाओं के उत्थान के लिए गांधीजी ने क्या योगदान दिया?
डॉ. अफरोज इक़बाल: गांधीजी ने महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए अहम योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा दी। उनके नेतृत्व में महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे समाज में उनकी स्थिति बेहतर हुई।
डॉ. उस्मानी: स्वावलंबन और आत्मसंयम के गांधीजी के विचार क्या थे?
डॉ. अफरोज इक़बाल: गांधीजी का मानना था कि हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर होना चाहिए। उन्होंने खादी और स्वदेशी को प्रोत्साहित किया ताकि लोग विदेशी वस्त्रों पर निर्भर न रहें। आत्मसंयम उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा था, जो उन्हें भौतिक सुखों से दूर रहकर आत्मिक सुख की ओर प्रेरित करता था।
डॉ. उस्मानी: गांधीजी ने खादी और चरखे को आंदोलन का प्रतीक क्यों बनाया?
डॉ. अफरोज इक़बाल: गांधीजी ने खादी और चरखे को आंदोलन का प्रतीक इसलिए बनाया ताकि भारतीय लोग विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्त्रों का इस्तेमाल करें। यह आत्मनिर्भरता और ब्रिटिश शासन की आर्थिक जड़ें कमजोर करने का एक प्रभावी तरीका था।
डॉ. उस्मानी: गांधीजी की धार्मिक सहिष्णुता का उनके विचारों और कार्यों पर क्या प्रभाव पड़ा?
डॉ. अफरोज इक़बाल: गांधीजी सभी धर्मों का सम्मान करते थे और उनका मानना था कि हर धर्म का मूल उद्देश्य मानवता की सेवा है। उनकी धार्मिक सहिष्णुता ने उन्हें एक ऐसा नेता बनाया, जो न केवल राजनीतिक लड़ाई लड़ रहा था, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को भी समाज में स्थापित कर रहा था।
डॉ. उस्मानी: गांधीजी के आदर्श और सिद्धांत आज के समाज के लिए कितने प्रासंगिक हैं?
डॉ. अफरोज इक़बाल: गांधीजी के आदर्श और सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। सत्य, अहिंसा और सामाजिक समरसता जैसे मूल्यों को अपनाना आज के समाज में शांति और न्याय की स्थापना के लिए आवश्यक है। उनका जीवन आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
डॉ. उस्मानी: हम गांधीजी के विचारों को अपने जीवन में कैसे लागू कर सकते हैं?
डॉ. अफरोज इक़बाल: गांधीजी के विचारों को अपने जीवन में लागू करने के लिए हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा। हमें अपने कार्यों में नैतिकता और ईमानदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए और समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए काम करना चाहिए। स्वावलंबन और आत्मसंयम को अपनाकर हम उनके आदर्शों का पालन कर सकते हैं।
(Dr Afroze Eqbal (Youtube channel पर Playlist Success Series और Career Counseling ज़रूर देखिये )