देश-विदेश से पहुंचे हजारों शोक संदेश
डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
आबू की धरा आज गमगीन है,आखिर हो भी क्यो न !इस धरा की रौनक और शिव बाबा के यज्ञ का नायाब हीरा ब्रह्माबाबा की लाडली बच्ची दादी रतनमोहिनी की पार्थिव देह को आज अग्नि के हवाले कर दिया गया। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की मुख्य प्रशासिका 101 वर्षीय दादी रतनमोहिनी के देहावसान का समाचार मिलते ही देश-विदेश से शिवबाबा के रूहानी बच्चे आबू आने लगे,देखते ही देखते उनकी अंतिम यात्रा में हजारों की भीड़ हो गई,लेकिन न कोई आवाज ,न ही हलचल, जो भी इस यात्रा के साक्षी बने वे सभी फरिश्ता स्वरूप बन परमात्म याद में खोए थे। देश-विदेश के नेता, अभिनेता, संत-महात्मा और महामंडलेश्वर और स्वयं सेवी संस्थाओं ने अपने अपने शोक संदेश भेजकर दादी रतनमोहिनी के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की है। दादी के अहमदाबाद में शरीर छोड़ने के बाद पहले शांतिवन और फिर शांतिवन से माउंट आबू के लिए बैकुंठी यात्रा निकाली गई। रास्तेभर सामाजिक संगठनों और आमजन ने दादी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।फिर शांतिवन लौटने पर गुरुवार की सुबह 9 बजे शांतिवन के सरस्वती भवन के सामने गार्डन में दादी रतनमोहिनी का अंतिम संस्कार किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने दादी के देहावसान पर दुख जताते हुए दादी के आध्यात्मिक व रूहानी जीवन को प्रेरणा प्रद बताया व दादी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। पाकिस्तान के सिंध प्रान्त से भारत भ्रमण पर आए शदाणी दरबार के 300 श्रद्धालु मुख्यालय शांतिवन पहुंचे, जहां दादी को उन्होंने श्रद्धाजंलि अर्पित की। साथ ही अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मोहिनी दीदी से भी उन्होंने मुलाकात की। इस मौके पर अतिरिक्त महासचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई, रायपुर शदाणी दरबार के सन्त सत्यव्रत शदाणी, इन्दौर जोन की निदेशिका बीके हेमलता दीदी, रायपुर संचालिका बीके सविता दीदी विशेष रूप से उपस्थित रहे।तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने कहा कि दादी ने अपना पूरा जीवन मूल्य और आध्यात्मिकता के प्रचार-प्रसार ने लगा दिया।केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि दादी का जीवन आध्यात्मिक साधना, सेवा, समर्पण व नेतृत्व का अद्वितीय उदाहरण रहा है। उनकी सरलता, संयम और सेवा भावना सभी के लिए प्रेरणादायक है।महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि दादी का जीवन आध्यात्मिक जागृति, सेवा और प्रेम का प्रतीक रहा। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक दिशा दी। मप्र के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि दादी ने अपना संपूर्ण जीवन विश्व कल्याण में लगा दिया।उनके नेतृत्व में युवा प्रभाग ने अनेक कीर्तिमान रचे।प्रसिद्ध एक्टर अनुपम खेर ने कहा कि सन 1936 से ब्रह्माकुमारीज़ के लिए सेवा में संलग्न और उनकी सबसे बड़ी प्रेरणास्रोत दादी का जीवन और सीख हमेशा प्रेरणादायक रही है और हमेशा रहेगी।तेलुगु अभिनेता सुमन गरु ने कहा कि दादीजी के आदर्श, योग-तपस्वी जीवन को सदा याद रखा जाएगा। चार साल पहले ही रतनमोहिनी दादी को ब्रह्माकुमारीज में मुख्य प्रशासिका का दायित्व मिला था। इसके पहले भी वे ब्रह्माकुमारीज युवा प्रभाग की अध्यक्षा के साथ ही ब्रह्माकुमारीज संस्थान में समर्पित होने वाली युवा बहनों के प्रशिक्षण का भी दायित्व संभाल रही थीं। उन्होंने देश ही नहीं दुनिया के कई देशों का भ्रमण कर भारतीय संस्कृति और सभ्यता का बीज बोया ।सन 1950 में जब ब्रह्माकुमारीज का स्थानांतरण पाकिस्तान से माउंट आबू हुआ, उस समय रतनमोहिनी दादी की आयु मात्र 26 साल थी।उस समय ब्रह्माकुमारीज संस्थान में मात्र 350 भाई बहन थे।दादी रतनमोहिनी को विश्व सेवा और युवाओं को सद्मार्ग पर लाने की ऐसी धुन लगी कि सदा के लिए यहीं माउंट आबू की होकर रह गईं।उन्होंने अपना पूरा जीवन युवा सशक्तिकरण, युगा जागृति में लगा दिया। युवाओं से विशेष प्रेम, स्नेह के चलते उन्हें युवाओं की दादी कहकर पुकारते थे।(लेखक आध्यात्मिक चिंतक एवं विक्रमशीला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति है)