नीम हकीम ख़तरा ए जान और यूट्यूब पर पत्रकारिता
(शिब्ली रामपुरी)
मेरे आर्टिकल के टाइटल को पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा टाइटल है. यूट्यूब की पत्रकारिता से नीम हकीम खतरा ए जान का क्या संबंध है?
नीम हकीम खतरा ए जान एक पुरानी कहावत है जिसका मतलब होता है कि जिस इंसान के पास आधा अधूरा ज्ञान होता है वह आपको खतरे में डाल सकता है या खुद को भी खतरे में डाल सकता है. ऐसे ही बहुत सारे मामले आज यूट्यूब पर हो रही पत्रकारिता से सामने आ रहे हैं. यूट्यूब पर बहुत सारे वरिष्ठ पत्रकार पत्रकारिता कर रहे हैं लेकिन यूट्यूब पर सारे लोग पत्रकार नहीं हैं क्योंकि यूट्यूब पर पत्रकारिता करने का एक दायरा है और अगर आप उस दायरे को पार करते हैं तो फिर वह पत्रकारिता नहीं कहीं जा सकती और जैसा कि मैंने कहा कि हर इंसान जो यूट्यूब पर पत्रकारिता का दम भरता है और बड़ी-बड़ी बातें करता है तो जरूरी नहीं है कि वह पत्रकार ही हो.
दरअसल यूट्यूब पर ऐसे ऐसे लोग भी हैं कि जिनकी वीडियो को देखकर जिनके द्वारा पेश की गई न्यूज़ को देखकर आसानी से अंदाजा हो जाता है कि यह इंसान पत्रकार नहीं है. पत्रकारिता करने के लिए आपके पास ज्ञान का होना जरूरी है भले ही आपके पास एजुकेशन की कोई बड़ी डिग्री ना हो लेकिन आपके पास इतना ज्ञान होना चाहिए कि आपकी मुद्दों पर मजबूत पकड़ हो और आप अच्छे और बुरे में तमीज़ करने का फर्क जानते हों. ऐसा ना हो कि आप किसी पॉलिटिशियन से कोई सवाल करें और वह आपको पलट कर कह दे कि भाई आप कितना पढ़े हुए हो? कितने दिन से पत्रकारिता कर रहे हो?
जो वरिष्ठ लोग यूट्यूब पर पत्रकारिता कर रहे हैं अगर हम उनके बारे में गंभीरता से विचार करें तो पता चलता है कि उन्होंने प्रिंट मीडिया में एक लंबे समय तक कार्य किया है इसके अलावा कुछ ऐसे पत्रकार भी यूट्यूब पर हैं कि जिन्होंने प्रिंट मीडिया के अलावा मेनस्ट्रीम मीडिया में भी काफी समय तक पत्रकारिता की और जब उनका वहां मन नहीं लगा या उनको किसी वजह से नौकरी से निकाल दिया गया तो फिर उन्होंने यूट्यूब पर पत्रकारिता शुरू कर दी और ऐसे कई नाम हैं जो आज बेहतरीन तरीके से यूट्यूब पर पत्रकारिता कर रहे हैं और कई बड़े पॉलीटिशियंस उनको इंटरव्यू भी दे चुके हैं. यहां यह लिखने का मकसद यह है कि जो लोग यूट्यूब पर पत्रकारिता कर रहे हैं या करना चाहते हैं तो उनको पहले पत्रकारिता का अनुभव भी होना चाहिए.