उत्तराखंडरुड़की

मदरसों में संस्कृत, वेद और योग की शिक्षा का होने लगा है विरोध, मुफ्ती रियासत पर भी उठने लगी है उंगलियां

अमजद उस्मानी

रुड़की- उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्षों द्वारा प्रदेश के मदरसों में संस्कृत, वेद और योग की शिक्षा दिलाये जाने के ब्यानों को लेकर मदरसों के आलिमों और धर्म गुरुओं में नाराज़गी बढती जा रही है | इस को लेकर मुस्लिम विद्वान और धर्म गुरु मुखर होने लगे हैं | मुसलमानों की नाराज़गी को देखते हुए दोनों बोर्डों के अध्यक्षों की हालत सांप- छछूंदर वाली हो गई है |
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद शादाब शम्स ने मदरसों का सर्वे किये जाने की मांग की थी | जिसपर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा मदरसों का सर्वे किये जाने के आदेश दिये थे | लगभग एक साल बीतने पर भी सर्वे में मदरसों को लेकर कोई नकारात्मक रिपोर्ट सामने नहीं आयी है| अब बीते कुछ महीनों से शादाब शम्स मदरसों में संस्कृत पढ़ाये जाने की बात कर रहे हैं | इसे लेकर मदरसों के संचालकों में नाराज़गी पैदा हो गई | यह नाराज़गी इस लिए भी थी कि मदरसों के संचालन और शिक्षा से वक्फ बोर्ड का कोई लेना देना नहीं है | इसलिए माना जा रहा था कि यह सिर्फ राजनीति चमकाने का प्रयास है लेकिन मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद मुफ्ती शमऊन कासमी ने दो कदम आगे बढ़ कर वेद और योग की शिक्षा मदरसों में दिये जाने की बात कहकर मामले को तूल दे दिया |

मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमऊन कासमी अपनी मुहिम को सफल बनाने के लिए जनसंपर्क अभियान शुरू किया है जिसके तहत वह मदरसों के जिम्मेदारों से मिल कर अपनी बात रख रहे हैं | पिछले दिनों मुफ्ती रियासत अली के सौजन्य से ऐसा ही एक कार्यक्रम लंढौरा के मदरसा इमदाद इस्लाम में आयोजित किया गया जिसमें हरिद्वार जनपद के लगभग सभी मदरसों के प्रतिनिधि मौजूद थे | उलेमा की भारी भीड़ देखकर मुफ्ती शमऊन कासमी गदगद हो गये और उन्होंने जमकर आर एस एस व भाजपा की जमकर तारीफ की |मुफ्ती शमऊन कासमी ने कहा कि आप मेरी बात को समझो और मेरे साथ आओ | मैं आपको मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलवाऊंगा | कार्यक्रम कुछ इस प्रकार संचालित हुआ कि किसी अन्य को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया | कार्यक्रम के बाद कई मौलानाओं ने मीडिया से बात की और अपनी नाराज़गी जाहिर की | जमीयतुल उलमाए हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आरिफ़ ने मदरसों में संस्कृत, वेद और योग की शिक्षा का जबरदस्त विरोध किया | उन्होंने कहा कि सरकार मदरसों की हालत सुधारने के बजाय मदरसों को उनके हाल पर छोड़ दे और
सरकारी स्कूलों की चिंता करे | जिनकी हालत खराब है | जमीयतुल उलमाए हिंद के प्रदेश महासचिव मौलाना नसीम अहमद ने कहा कि यह सब आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा | मदरसों की शिक्षा में कहीं कोई कमी नहीं है | मदरसे धार्मिक शिक्षा के लिए हैं और हम धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा भी दे रहे हैं | इसलिए संस्कृत, वेद और योग की शिक्षा दिये जाने की बातें फजूल हैं | मदरसा दारुस्सलाम लाठरदेवा शेख़ के नाज़िम कारी शमीम अहमद ने इस विषय पर तीखी प्रतिक्रिया दी | उन्होंने कहा कि न जाने कितने शमऊन आये और चले गए | मदरसे थे, हैं और रहेंगे | मदरसों की शिक्षा व्यवस्था सरकारी स्कूलों से अच्छी है | शमऊन कासमी को पहले सरकारी स्कूलों की हालत देखनी चाहिए जहाँ शौचालय और सफाई की व्यवस्था नहीं है |
दूसरी ओर कार्यक्रम के संयोजक मुफ्ती रियासत अली अलग ही दुविधा में फंस गए हैं | उनके बुलावे पर कार्यक्रम में आने वाले उलेमा ने कार्यक्रम के बाद मुफ्ती रियासत से जवाब तलब किया कि हमें मदरसों की समस्याओं पर विचार करने के नाम पर बुलाया गया था लेकिन यहाँ आर एस एस के एजेंडे पर बात हुई है | अगर हमें मालूम होता कि असल एजेण्डा क्या है तो हम बिलकुल न आते | इसपर मुफ्ती रियासत अली ने सफाई दी कि मुफ्ती शमऊन कासमी ने मुझे असल बात नहीं बताई थी लेकिन ज्यादातर उलेमा उनकी बातों से संतुष्ट नहीं हुए हैं |नाम न छापने की शर्त पर कई उलेमा ने कहा कि मुफ्ती रियासत अली पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं और उनका एक पैर दारुल उलूम देवबंद में और दूसरा राजनीति में रहता है | इसलिए उनपर विश्वास नहीं किया जा सकता है | दूसरीओर चर्चा है कि मुफ्ती रियासत अली की भाजपा से नजदीकी बढ़ रही है और मुफ्ती शमऊन कासमी इसके लिए सीढ़ी का काम कर रहे

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