राजनीतिलेख

डिबेट में शोर मचाने वालों के तय होते हैं पैसे?

डिबेट में शोर मचाने वालों के तय होते हैं पैसे?
शिब्ली रामपुरी

कुछ दिन पहले एक मशहूर विद्वान से मुलाकात हुई तो बातचीत के दौरान उनसे यह मालूम किया कि जो टीवी चैनलों पर डिबेट होती है और उसमें तकरीबन एक से ही चेहरे हर डिबेट या कहें कि अधिकतर टीवी चैनलों की डिबेट में नजर आते हैं और उनमें कई चेहरे तो ऐसे हैं जो कि शोर शराबा करने हंगामा करने के लिए जाने और पहचाने जाते हैं उनकी पहचान ही ऐसी बन चुकी है कि जिस डिबेट में वह होते हैं वहां पर हंगामा की सी स्थिति हो ही जाती है तो इस पर उन विद्वान का यह कहना था कि जो टीवी चैनलों पर आप डिबेट देखते हैं उनमें अधिकतर डिबेट में रकम तय होती है और यह भी तय होता है कि आपको इस डिबेट में एक हंगामा की सी स्थिति भी बनानी है ताकि यह डिबेट चर्चा का विषय बन जाए.
अब उन विद्वान की बात में कितनी सच्चाई यह तो पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना सच तो जरूर है कि अक्सर हम अधिकतर टीवी चैनलों के स्टूडियो में ऐसे कई चेहरे देखते हैं कि जिनकी पहचान ही हंगामा करना -शोर मचाने के तौर पर बन चुकी है. डिबेट में शामिल होने वाले इन चंद चेहरों को बहुत जल्दी गुस्सा भी आ जाता है और कभी-कभी वो पानी का गिलास फेंक देते हैं कभी उठकर खड़े हो जाते हैं या अक्सर सामने वाले पर इतना गुस्सा होते हैं कि अनाप शनाप भी बोलने लगते हैं.
ऐसा नहीं है कि किसी टीवी स्टूडियो में हकीकत में एक अच्छी डिबेट नहीं होती लेकिन इस सच को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है कि आज डिबेट का स्तर कितना गिर चुका है कि वहां पर जो असल मुद्दे हैं उनकी बजाय ऐसे ऐसे मुद्दे उछाल जाते हैं कि जिससे जनता का कोई सरोकार नहीं होता है. जाहिर सी बात है जब कुछ चेहरे तय रकम लेकर डिबेट में जाएंगे तो फिर कैसे आप उनसे बेहतरी की उम्मीद कर सकते हैं? कैसे वो आपका पक्ष मजबूत तरीके से रख सकते हैं?
शायद यही वजह है कि ज्यादातर टीवी स्टूडियो में चंद चेहरे ही डिबेट में बुलाए जाते हैं जिनको देखकर लगता है कि यह कितने अज्ञानी लोग हैं इनका कोई ज्ञान नहीं है वरना तो देश में एक से बढ़कर एक काबिल लोग हैं आखिर क्यों उनको टीवी डिबेट में नहीं बुलाया जाता है.

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