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ट्रक और बस ड्राइवरों की हड़ताल से 3 दिन में बैक फुट पर आई सरकार

नई दिल्ली : देशभर में ट्रक और बस ड्राइवरों की हड़ताल का खासा असर देखने को मिला है। उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, बिहार, गुजरात, पंजाब सहित कई राज्यों में ट्रकों व बसों के पहिए थम गए थे। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पूरी तरह से ठप हो गया था। हजारों यात्री अपने गंतव्य पर जाने के लिए परेशान होते रहे, फिर भी कोई बस ड्राइवर बस चलाने को तैयार नहीं था। हमारे देश में 80 लाख से अधिक ट्रक ड्राइवर हैं, जो लोगों की जरूरत का सामान एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचाते हैं। ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल से देश में पेट्रोल डीजल तक की कमी हो गई थी। ट्रक और बस ड्राइवरों की हड़ताल फिलहाल खत्म हो गई है। अगर यह हड़ताल रोकी नहीं जाती तो आम जनता की जेब पर इसका भारी असर पड़ सकता था। हड़ताल की वजह से सब्जियां महंगी होने लगी थी। दूध, दवाइयां और रसोई गैस की कमी हो सकती थी। उधर पेट्रोल पंपो पर पहले ही लंबी-लंबी कतारें लगने लगी थी। कुछ शहरों के पेट्रोल पंपो पर तेल खत्म भी हो गया था।

नए हिट एंड रन कानून के तहत अगर लापरवाही या तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है और आरोपी ड्राइवर पुलिस को सूचित किए बिना ही मौके से फरार हो जाता है तो उसे 10 साल की सजा काटनी पड़ सकती है या 7 लाख रुपए का जुर्माना देना पड़ सकता है। अगर ड्राइवर नहीं भागता है तो भी उसे 5 साल की सजा काटनी पड़ सकती है। सबसे खास बात यह है कि दोनों ही मामले गैर जमानती हैं, जिन में चालक को पुलिस थाने से जमानत नहीं मिलेगी।

नए कानून को लेकर मंगलवार को अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस और गृह मंत्रालय के बीच लंबी बैठक हुई। सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि कानून अभी लागू नहीं हुआ है। नए कानून को लागू करने से पहले ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट से विचार विमर्श किया जाएगा इस आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ले ली गई है।

उधर ड्राइवरों का कहना है कि चालक जानबूझकर किसी हादसे को न्योता नहीं देते। ज्यादातर हादसे छोटी गाड़ी वालों की गलती से ही होते हैं। उनका यह भी कहना है कि अनजाने में उनसे सड़क पर कोई दुर्घटना हो जाती है तो घटनास्थल पर भीड़ इकट्ठा हो जाती है। और भीड़ बड़े वाहन चालक की गलती मानकर उससे मारपीट करती है। कुछ मामलों में बड़े वाहन चालकों को जान से हाथ धोना पड़ता है। ऐसे में अगर ड्राइवर दुर्घटना के बाद रुकते हैं तो भीड़ मार डालेगी और नहीं रुकते हैं तो सरकार उन्हें मार डालेगी। दोनों ही मामलो में उनका परिवार संकट में है। चालकों का दूसरा तर्क यह है कि वह 10000/ से 15000/ रुपए प्रति माह कमाते हैं। ऐसे में 7 लाख रुपए का जुर्माना कैसे दे पाएंगे। इन तर्कों के आधार पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार से ऐसे कानून पर सोच विचार करने की गुजारिश की है।

चालकों की हड़ताल के कारण देश के कई शहरों में लोगों को पेट्रोल डीजल और गैस की कमी होने लगी थी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में तेल भरवाने के लिए लंबी-लंबी करें देखने को मिली। घंटो लोग पेट्रोल भरवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। हालांकि कुछ शहरों में पेट्रोल डीजल संगठन ने आश्वासन दिया कि पेट्रोल डीजल की कमी नहीं होने दी जायेगी।

सूत्रों की माने तो सरकार के सामने लोकसभा चुनाव सहित कई अन्य मुद्दे ऐसे हैं जिन पर सरकार को अपने कदम पीछे हटाने पड़े।

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