गले मिलो तो ऐसे मिलो ईद हो जाओ- वतन पुकारे तो अब्दुल हमीद हो जाओ
गले मिलो तो ऐसे मिलो ईद हो जाओ- वतन पुकारे तो अब्दुल हमीद हो जाओ
मुशायरे में शायरी पर श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
मुंबई(शिब्ली रामपुरी) जश्ने हिंदुस्तान के नाम से आयोजित मुशायरे में शायरों ने जहां मौजूदा राजनीति पर कटाक्ष किया वहीं उन्होंने देश प्रेम से ओतप्रोत एक से बढ़कर एक कलाम भी पेश किया.
मुशायरे में प्रसिद्ध शायर विजय तिवारी को अपने इस कलाम पर खूब तारीफ मिली जब उन्होंने पढ़ा
गले मिलो तो ऐसे मिलो ईद हो जाओ
वतन पुकारे तो अब्दुल हमीद हो जाओ
मिलाओ कांधे से कांधा उठाओ शमशीरें
ग़ुलाम होने से अच्छा है शहीद हो जाओ
बेबाक अंदाज़ और शायरी के लिए मशहूर अबरार काशिफ ने भी खूब तारीफ हासिल की. वहां मौजूद लोगों की फरमाइश पर उन्होंने यूं तो कई कलाम सुनाए लेकिन उनको अपने इस शेर पर काफी प्रशंसा मिली. उन्होंने पढ़ा
परिंदों ने कभी रस्ता नहीं रोका परिंदों का
ख़ुदा दुनिया को चिड़ियाघर बना देता तो अच्छा था
मशहूर शायर डॉक्टर नवाज़ देवबंदी. मुमताज नसीम आदि ने भी अपना कलाम पेश किया.