Uttrakhand

उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पेश

उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पे

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में विधायकों ने “वंदे मातरम और जय श्री राम” के नारे लगाए गए। वो कौन से बिंदु हो सकते हैं, जो उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड को खास बना सकते हैं। आइए उन बिंदुओं के बारे में आपको बता देते हैं।

Uniform Civil Code Main Points

1- यूनिफॉर्म सविल कोड में लड़कियों के शादी की उम्र बढ़ाई जा सकती है. जानकारों के मुताबिक लड़कियों के शादी की उम्र 21 साल की जा सकती है।

2- यूनिफॉर्म सविल कोड की एक और खास बात ये है कि उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर हक मिलेगा। यानी अब बेटा बेटी के बीच जमीन जायदाद में भी कोई फर्क नहीं होगा।

3- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक.यानी बहुविवाह पूर्ण तरीक़े से बैन हो सकता है केवल एक ही शादी मान्य होगी

4- यूनिफॉर्म सविल कोड लागू होते ही लिव इन रिलेशनशिप के लिए डिक्लेरेशन होगा जरूरी. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के माता पिता को इस बात की जानकारी होनी चाहिए. लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्टर करना होगा.

5- यूनिफॉर्म सविल कोड में गोद लेने की प्रक्रिया में सरलीकरण हो सकता है। एक तरह से एडॉप्शन सभी के लिए मान्य हो सकता है। मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार दिया जा सकता है।

6- उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सविल कोड लागू होते ही मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक लग सकती है। आगे पढ़िए

7- यूनिफॉर्म सविल कोड में शादी के बाद रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो सकता है। हर शादी का गांव में ही रजिस्ट्रेशन होगा। बिना रजिस्टर की शादी अमान्य मानी जाएगी। शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।

8- पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध हो सकते हैं। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।

9- नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा।

10- पत्नी की मौत हो जाती है और अगर उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी।

11- गार्जियनशिप, बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जा सकता है। पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।

12- Uniform Civil Code में जनसंख्या नियंत्रण का भी हो सकता है प्रावधान. जनसंख्या नियंत्रण के लिए बच्चों की सीमा तय की जा सकती है.

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