राजनीति

मुसलमानों के राजनीतिक नेतृत्व को कौन कर रहा है कमज़ोर?

मुसलमानों के राजनीतिक नेतृत्व को कौन कर रहा है कमज़ोर?

शिब्ली रामपुरी

मौजूदा दौर में इस बात को आप सीधे तौर पर कहिए या फिर घुमा फिरा कर लेकिन सच यही है कि अब मुस्लिम नेतृत्व लगातार कमजोर होता जा रहा है बल्कि बहुत सारी जगह पर तो मुस्लिम नेतृत्व हाशिये पर पहुंच चुका है. ऐसा सिर्फ इस बार लोकसभा चुनाव में ही नहीं हो रहा है बल्कि जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 में हुए थे तभी से यह महसूस होने लगा था कि मुस्लिम नेतृत्व लगातार दरकिनार किया जा रहा है और यह हालत जब है कि जब एक पार्टी को सबसे अधिक मुसलमानों के वोट उत्तर प्रदेश में मिले थे उसके बावजूद भी उस पार्टी के मुखिया और उस पार्टी के सीनियर नेता लगातार मुस्लिम नेताओं को नजरअंदाज कर रहे हैं या यूं कहें कि अपने वोट बैंक मुसलमानों को ही लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है.
विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान ऐसे कई अफसोसनाक नजारे देखने को मिले कि जब कई जगहों पर जो लोग मुसलमानों के नाम का दम भरते हैं और उनके सहारे वह अपनी राजनीतिक नैया पार भी लगाते रहे हैं बड़ी-बड़ी बुलंदियां उनको मिलती रही हैं उन्हीं नेताओं ने मुसलमानों को अपने मंच पर जगह तक नहीं दी थी और कई जगह पर तो मुस्लिम नेताओं को मंच से नीचे जमीन पर बैठने को मजबूर तक होना पड़ा था और यह खबर कई जगह पर चर्चा का विषय भी बनी थी.
वर्तमान दौर की बात करें तो कई जगह पर मुसलमानों को टिकट नहीं दिया गया या फिर उनके टिकट काट दिए गए और ऐसा किसी नये चेहरे के साथ नहीं हुआ बल्कि उन दिग्गज नेताओं के साथ हुआ है कि जो बरसों से उस पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं कि जिस पर मुस्लिम हमदर्द होने का ठप्पा लगा हुआ है.
जरा सोच कर देखिए कि जिस पार्टी को सबसे ज्यादा कोई समाज वोट दे और उसको कई बार कामयाबी का ताज इस समाज के वोटो की बदौलत मिले और फिर उसी समाज को बिल्कुल ही जमीन पर बैठा दिया जाए तो उस समाज के लोगों पर क्या गुजरेगी? ऐसा ही कुछ आज के वक्त में मुसलमानों के साथ हो रहा है.
पॉलिटिक्स में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो कि भाजपा को मुसलमानों की बदहाली के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार बताते हैं लेकिन वह एक बार गंभीरता से इस बात पर ग़ौर करें कि जिन लोगों ने जिन पार्टियों ने जिन नेताओं ने मुसलमानों के सहारे कामयाबी एक नहीं बल्कि कई बार हासिल की उन लोगों ने मुसलमानों को तरक्की और खुशहाली के नाम पर क्या दिया है? भाजपा की बहुत सारी नीतियां ऐसी हो सकती हैं कि जिनसे मुसलमान इत्तेफाक नहीं रखते हैं लेकिन यह भी सच है कि भारतीय जनता पार्टी ने बहुत ऐसे तरक्की के काम किए हैं कि जिनका लाभ साफ तौर पर मुसलमानों को भी मिला है और सिर्फ देश के सबसे बड़े राज्य यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश के मुसलमानों को इसका फायदा हुआ है. मुझे यह कहने में यहां कोई गुरेज नहीं है कि जिस दिन भाजपा ने पॉलिटिक्स में मुसलमानों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया उनको विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में टिकट काफी हद तक दिए जाने लगे तो उस दिन विपक्षी पार्टियों की यह मुस्लिम वोट बैंक की सियासत भी दम तोड़ती नजर आएगी.

 

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