राजनीति

मायावती की मायावी पॉलिटिक्स से किसे फायदा ?

(शिब्ली रामपुरी)

पहले इमरान मसूद फिर सांसद दानिश अली का पार्टी से निष्कासन उसके बाद अपने भतीजे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किए जाने की घोषणा और अभी हाल ही में अपने जन्मदिन के मौके पर यह ऐलान करना कि हम अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरेंगे बहुजन समाज पार्टी किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करेगी.जाहिर है बहुजन समाज पार्टी की सरबराह मायावती के इन तमाम फैसलों ने एक बार सबको हैरत में डाल दिया क्योंकि यह फैसले अचानक से एक के बाद एक लिए गए हैं.

इमरान मसूद जो सहारनपुर से पूर्व विधायक रह चुके हैं उनको अचानक से पार्टी से बाहर कर देना और फिर उनके बाद इसी तरह का आरोप लगाते हुए बसपा के ही सांसद दानिश अली को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिए जाने के फैसले ने सबको एक बार हैरत में जरूर डाल दिया कि आखिर बसपा में यह सब क्यों हो रहा है?

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जहां दूसरे दलों के नेताओं का स्वागत कर रहे हैं वहीं लगातार कमजोर होते जनाधार के बावजूद भी बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी पार्टी के नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा देती हैं तो इससे सियासी हलकों में आश्चर्य की स्थिति तो जरूर पैदा होगी.
इसी माह बसपा सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन मनाया गया और उम्मीद थी कि वह इस दिन कोई बड़ा फैसला करेंगी लेकिन उन्होंने अपने पुराने फैसले पर कायम रहते हुए ऐलान किया कि हम अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरेंगे और हमारी पार्टी किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी.
मायावती के इस फैसले पर कुछ भी कहा जाए लेकिन इसमें एक बड़ा फायदा उनके भतीजे आकाश आनंद को जरूर मिला है वह यह है कि अब वह खुलकर अपनी मर्जी के मुताबिक पार्टी के लिए बड़े से बड़े निर्णय ले सकते हैं और उन पर पार्टी को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी भी आ गई है ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि आकाश आनंद बहुजन समाज पार्टी में क्या परिवर्तन कर पाते हैं वैसे तो उन्होंने जिस तरह से सोशल मीडिया पर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई है वह बसपा में एक बड़ा परिवर्तन है. बसपा का यदि गठबंधन हो जाता तो फिर आकाश आनंद सारे फैसले उस तरह नहीं ले सकते थे क्योंकि सीट शेयरिंग को लेकर जिन दलों से उनका गठबंधन होता वहां पर उनकी भी मर्जी चलती लेकिन अब आकाश आनंद के सामने सियासत का पूरा आसमान है जिसमें उनको ऊंची परवाज़ करने का मौक़ा मिला है हालांकि राजनीति में गहरी जानकारी रखने वाले बहुत लोगों का यह भी मानना है कि बहुजन समाज पार्टी के इस फैसले से विपक्षी दलों का जो गठबंधन इंडिया बना है उसको नुकसान होगा और भाजपा को लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा.

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