राजनीति

अखिलेश यादव के कानों तक नहीं पहुंचती मुसलमानों की आवाज़ !

अखिलेश यादव के कानों तक नहीं पहुंचती मुसलमानों की आवाज़?

शिब्ली रामपुरी

          एक मशहूर चैनल की पत्रकार मुरादाबाद के कुछ मुसलमानों से लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी को वोट दिए जाने के बारे में सवाल कर रही थीं तो वहां मौजूद एक मुस्लिम ने कहा कि अखिलेश यादव के कानों तक तो मुसलमानों की आवाज ही नहीं पहुंचती और उन्होंने इसको विस्तार से बताते हुए पत्रकार महोदया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि रामपुर में जब अखिलेश यादव आए तो उनसे एक पत्रकार ने मुसलमानों से जुड़े मुद्दे को लेकर सवाल किया तो अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे आपकी आवाज नहीं आ रही है उस पत्रकार ने फिर सवाल किया तो अखिलेश यादव ने फिर जवाब में यही कहा कि मेरे कानों तक तो आपकी आवाज आ ही नहीं रही है. जब अखिलेश यादव के कानों तक मुसलमानों की आवाज ही नहीं पहुंचती तो फिर उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि मुस्लिम समाज में उनके प्रति नाराजगी कम या ज्यादा तौर पर पनप रही है और चुनाव में इसका नुकसान अखिलेश यादव को उठाना पड़ सकता है?
अभी हाल ही में बरेली के एक मशहूर मुस्लिम विद्वान मुफ्ती शहाबुद्दीन रिजवी ने एक काबिले तारीफ बात कही जिसमें उन्होंने कहा कि मुसलमानों को पीएम मोदी का विरोध नहीं करना चाहिए और उनको सेकुलर पार्टियों के बहकावे में नहीं आना चाहिए क्योंकि सेकुलर पार्टियां मुसलमानों को बरगलाने में कोई कसर बाकी नहीं रखती और फिर इसका नुकसान सबसे ज्यादा मुसलमानों को ही राजनीतिक तौर पर उठना पड़ता है हालांकि मुफ्ती शहाबुद्दीन रिजवी साहब ने जो बात कही मैं उससे इत्तेफाक नहीं रखता क्योंकि देश का मुसलमान पीएम मोदी का विरोध क्यों करेगा वह तो पीएम मोदी के सबका साथ सबका विकास की खूब तारीफ करता है और काफी संख्या में लोग पीएम मोदी की वजह से भाजपा से भी जुड़ने लगे हैं. जहां तक विरोध की बात है तो अधिकतर खुद को सेकुलर कहने वाले राजनीतिक दल मुसलमानों को भाजपा का भय बीजेपी का खौफ या फिर यह कहकर कि भाजपा आ जाएगी अगर हमको वोट नहीं दिया तो आज तक बरगलाते रहे हैं और इसका बहुत बड़ा नुकसान मुसलमानों को होता आया है और इन राजनीतिक पार्टियों से जुड़े कद्दावर नेताओं को इसका कोई खास नुकसान नहीं होता जितना नुकसान मुसलमानों को उठाना पड़ता है. खुद को सेकुलर और मुसलमानों का हमदर्द बताने वाली राजनीतिक पार्टियों ने भाजपा के नाम पर मुसलमानों को इतना गुमराह कर दिया है कि राजनीतिक तौर पर मुस्लिम हाशिये पर पहुंच चुके हैं. वैसे अब लगता है कि मुसलमानों में राजनीतिक तौर पर पहले से काफी ज्यादा जागरूकता आ चुकी है और वह अपने सियासी मुस्तकबिल को लेकर काफी कुछ सोचने और समझने भी लगे हैं तभी तो कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव तक तो मुसलमानों की आवाज ही नहीं पहुंचती उनको तो हमारी आवाज सुनाई ही नहीं देती तो फिर अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर हम अखिलेश यादव से क्या ही उम्मीद कर सकते हैं?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *